पछतावा
Jun 4, 2021
काश फ़ैसलों के पन्नों को जला ही दिया होता,
तो आज पछतावे में दर्ज मेरा नाम ना हुआ होता !
काश चुप्पी को ज़ुबान पर चढ़ा ही दिया होता,
तो आज पछतावे में दर्ज मेरा नाम ना हुआ होता !
पूरी कविता जरूर पढ़ें 🙂👇🏻
Pachtawa
https://www.priyapandey.com/2021/06/Pachtawa.html