कर्म
May 27, 2021
बुझे कर्म जब कपट समेटे, तब भाग्य बैठा निर्भय से सोए !
बुझे कर्म जब दरिद्रता लपेटें, तब भाग्य बैठा निर्भय से रोए !
पूरी कविता जरूर पढ़ें 🙂👇🏻
बुझे कर्म जब कपट समेटे, तब भाग्य बैठा निर्भय से सोए !
बुझे कर्म जब दरिद्रता लपेटें, तब भाग्य बैठा निर्भय से रोए !
पूरी कविता जरूर पढ़ें 🙂👇🏻