बेचैनी
Jun 14, 2021
रात के छोर पर पाँव सुजाती लौटी हैं बेचैनी,
मुझ संग पीठ लगा कर गुफ़्तगू करने को !
तन्हाई के छोर पर हाँफती लौटी हैं बेचैनी,
मुझ संग बिन इजाज़त लिए उलझने को…!!!
पूरी कविता जरूर पढ़ें 🙂👇🏻
रात के छोर पर पाँव सुजाती लौटी हैं बेचैनी,
मुझ संग पीठ लगा कर गुफ़्तगू करने को !
तन्हाई के छोर पर हाँफती लौटी हैं बेचैनी,
मुझ संग बिन इजाज़त लिए उलझने को…!!!
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